जानती हैं औरतें | कमलेश
जानती हैं औरतें | कमलेश
एक दिन सारा जाना-पहचाना
बर्फ-सा थिर होगा
याद में।
बर्फ-सी थिर होगी
रहस्य घिरी आकृति
आँखें भर आएँगी
अवसाद में।
आएँगे, मँडराते प्रेत सब
माँगेंगे
अस्थि, रक्त, मांस
सब दान में।
जानती हैं औरतें
बारी यह आयु की
अपनी।