जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग | ओम प्रकाश नौटियाल
जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग | ओम प्रकाश नौटियाल

जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग | ओम प्रकाश नौटियाल

जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग | ओम प्रकाश नौटियाल

सेवा सद्दश्य बलिदान नही              
राष्ट्र भक्ति सा अभिदान नही           
जन पर्व गाए प्रयाण राग               
जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग              

संसद की ना गरिमा खोए               
ना लाज शर्म अँखियाँ ढोएँ              
वह वृक्ष  पल्लवित हो पाएँ             
जो  बीज शहीदों ने  बोए              
निद्रा आलस्य करके त्याग              
जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग              

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कोटिशः जनों के यह प्रतिनिधि
बस अभिनय में पारंगत है
स्वहित के आगे जनहित कहीं
हो  गौण, हुआ अस्तंगत है
भय है तुम पर ना लगे दाग            
जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग              

सम्मुख अब देश प्रथम होगा            
यह शपथ, सोच हृदयस्थ करें            
जो हानि देश को  पहुँचाए              
हर ऐसी शह हम ध्वस्त करें            
तम छँटे जले हर घर चिराग            
जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग  

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