आरफस का सपना | आरेला लासेक्क
आरफस का सपना | आरेला लासेक्क

आरफस का सपना | आरेला लासेक्क

आरफस का सपना | आरेला लासेक्क

पाताल में, जहाँ आदमी
परछाईं से ज्यादा कुछ नहीं हैं
मैं अपने को तुम्हारी देह में छिपा लूँगा
मैं रेत के नगर सजाऊँगा
जो ना लौटने वाली नदी को रक्त निकाल सुखा देगा
हम उन मीनारों पर नाचेंगे,
जिन्हें हमारी आँखें नहीं देख पातीं
मैं तुम्हारी वह कटी जबान हूँ
जो झूठ नहीं बोलती
और हम उस प्यार को शाप देंगे,
जिसने हमें खो दिया

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