तसवीर बन गई | आरती
तसवीर बन गई | आरती
मैंने कुछ कहना चाहा
बरबस तुम्हारा नाम आया
मैं सुनना चाहती थी कोई गीत
बोल तुम्हारे कानों में खनखनाने लगे
रात दो बजे मैं जाग रही हूँ
कविता लिखने की कोशिश करती
मेरी कलम चलती रही
तुम्हारी तसवीर बन गई
तसवीर बन गई | आरती
मैंने कुछ कहना चाहा
बरबस तुम्हारा नाम आया
मैं सुनना चाहती थी कोई गीत
बोल तुम्हारे कानों में खनखनाने लगे
रात दो बजे मैं जाग रही हूँ
कविता लिखने की कोशिश करती
मेरी कलम चलती रही
तुम्हारी तसवीर बन गई