पत्थर | अरविंद कुमार खेड़े
पत्थर | अरविंद कुमार खेड़े
इतना न करो मुझ पर
घातक वार
इतना न करो मुझ पर
मारक प्रहार
कहीं पत्थर बन गया तो
मूक होकर
तुम्हारे सारे प्रश्नों के भार से
हो जाऊँगा मुक्त
बन जाऊँगा पूजनीय
और बटोर लूँगा
पूरे जनपद की आस्था।