विस्फोट | अनामिका
विस्फोट | अनामिका

विस्फोट | अनामिका

विस्फोट | अनामिका

तड़ी पार शब्दों में

बनते हैं गीत,

इसलिए पुकार के लिए अच्छे हैं

चिड़िया ने चिड़े से कहा –

विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले।

विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले

किसी ने वादा किया था –

जिंदगी का पहला वादा –

घास की सादगी और हृदय की पूरी सच्चाई से।

खाई थीं साथ-साथ जीने-मरने की कसमें !

विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले

किसी ने चूमा था नवजात का माथा !

कोई खूँखार पत्नी की नजरें मिलाकर

READ  आग की जरूरत सबसे ज्यादा है | विमल चंद्र पांडेय

बैठा था बीमार माँ के सिरहाने,

कोई कटखने बाप से छुपाकर

लाई थी पिटे हुए बच्चों का खाना

विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले।

किसी को नौकरी मिली थी

सदियों के इंतजार के बाद

विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले।

अभी-अभी कोई सत्यकाम

जीता था सर्वोच्च न्यायालय से

लोकहित का कोई मुकदमा

तीस बरस में अनुपम धीरज के बाद !

घिस गई थी निब – कलम भी,

कलम जो किताबें लिख सकती थीं,

लगातार लिखती रही थीं रिट-पिटीशन।

घिस गए थे जूतों के तल्ले

READ  झाँसी की रानी की समाधि पर

धँस गए थे गाल!

किला फतह करके वह निकला ही था कचहरी से

दोस्तों को बताएगा –

जीत गए थे सारे सत्यमेव-जयते

पहला ही नंबर घुमाया था

विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले।

अहिंसा परमो धर्मः गाती थी बिल्ली

अस्सी चूहे खाकर हज को जाती।

अहिंसा परमो धर्मः

बगुला कहता था मछली से,

परमाणु बम कहता था नागासाकी से

विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले !

क्या ईश्वर है अहिंसा ?

डुगडुगी बजती रहती है

READ  मन की गहरी घाटी में | धनंजय सिंह

बस उसके नाम की

पर वह दिखाई नहीं देती !

मंदिर के ऊँचे कंगूरे ने

मस्जिद की गुंबद से पूछा

सहम के

विस्फोट के ऐन एक मिनिट पहले।

खुद क्या मैं कम ऐसी-वैसी हूँ?

मेरा सत्यानाश हो,

मैं ही कीकर हूँ,चिड़िया,नदी,और पर्वत,

बिच्छू और मंजरी-समेत

एक धरती हूँ पूरी-की-पूरी,

मैं ही हूँ धरती की जिद्दी धमक –

‘क्यों-कैसे – ‘हाँ-ना’ से पूरी हुई रस्सी!

और मुई रस्सी के बारे में कौन नहीं जानता-

रस्सी जो जल भी गई तो

बलखाना नहीं छोडती!

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *