मैं तुम्हारे शब्दों की उँगली पकड़ करचला जा रहा था बच्चे की तरहइधर-उधर देखताहँसता, खिलखिलाताअचानक एक दिनपता चलातुम्हारे शब्दतुम्हारे थे ही नहींअब मेरे लिए निश्चिंत होना असंभव थाऔर बड़ों की तरहव्यवहार करना जरूरी READ सर्दी में उबला आलू